टैली क्या है ?
टैली एक complete एकाउंटिंग application software है जो tally solution pvt.ltd द्वारा launch किया गया है टैली का प्रयोग छोटे, बड़े और मध्यम स्तर की कम्पनियां वित्तीय हिसाब रखने के लिए करती है वर्तमान समय में टैली का प्रयोग लगभग दुनिया के सभी देशो में एकाउंटिंग के रूप में किया जा रहा है , टैली एक सस्ती और विश्वसनीय सॉफ्टवेयर है तथा इसकी installing और प्रयोग करने की विधि भी अन्य software के अपेक्षा सरल है टैली के विभिन्न संस्करण है जिसमे से Tally ERP-9 और टैली Prime वर्तमान समय में प्रयोग किया जा रहा है tally का प्रयोग व्यापार में निम्न कार्यो को जैसे – sales, finance, purchasing, inventory और manufacturing के रूप में किया जाता है टैली एक भारतीय कंपनी है जिसका अविष्कार सन 1986 में श्यामसुंदर गोएंका और उनके पुत्र भरत गोएंका ने किया था
टैली के निम्नलिखित version
टैली - 3.0 (1990)
टैली - 3.12 (1991)
टैली - 4 (1992)
टैली - 4.5 (1994)
टैली - 5.4 (1996)
टैली - 6.3 (2001)
टैली - 7.2 (2005)
टैली - 8.1 (2006)
टैली - 9 (2006)
(टैली ईआरपी 9 (2009)
Tally Prime (2020)
इन वर्षों में, टैली एक क्रांति से गुज़री है, जिसने शुरुआत में टैली के विभिन्न संस्करणों की खोज की , टैली का एक ही संस्करण है, जो इस बीच विभिन्न संस्करणों में दोहराया गया है। आइए नजर डालते हैं टैली के उन विभिन्न संस्करणों पर।
टैली 3.0 (1990)
टैली 3.0 टैली का पहला संस्करण है जिसका उपयोग छोटे व्यवसायों की बुनियादी लेखांकन आवश्यकताओं के लिए किया गया है। लेकिन, सॉफ्टवेयर को ऑपरेशन करने के लिए बाहरी और विशेष कमांड की आवश्यकता होती है। और यह केवल Microsoft DOS का समर्थन करता है।
टैली 3.12 (1991)
टैली 3.12 पहले वाले संस्करण यानी टैली 3.0 के समान है। यहाँ कुछ सुविधाओं को बदलाव किया गया है। फिर भी यह टैली 3.0 की तरह किए गए ऑपरेशन से मिलता जुलता है
टैली 4 (1992)
टैली 4 वर्ष 1992 में आया टैली का अगला संस्करण है। टैली 3.0 और टैली 3.12 की तरह, यह भी Microsoft डॉस का समर्थन करता है और बाकी दो संस्करणों से थोड़ा अलग है।
टैली 4.5 (1994)
टैली 4.5 एक डॉस-आधारित सॉफ्टवेयर है। डॉस ऑपरेटिंग सिस्टम के आधार पर कार्य करने वाला इस सॉफ्टवेयर पर करना मुश्किल था इस लिए इसके उच्चतम भाग को मार्केट में लाने में तेजी दिखाई गयी
टैली 5.4 (1996)
टैली 4.5 द्वारा अनुसरण किया गया, टैली 5.4 टैली का अगला संस्करण है। यह एक ग्राफिक इंटरफ़ेस संस्करण है जो आम जनता में लोकप्रिय हो गया है। एक छोटी अवधि के भीतर, इसके नए संस्करण ने टैली को सर्वश्रेष्ठ लेखांकन सॉफ्टवेयर बना दिया है।
टैली 6.3 (2001)
टैली 6.3 अगला टैली संस्करण है जो विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम का समर्थन करता है। यह विंडोज़ आधारित संस्करण है जिससे मुद्रण और VAT का समर्थन किया जाता है। इसके अलावा, टैली 6.3 को वॉटरटाइट सुरक्षा के साथ बनाया गया है
टैली 7.2 (2005)
टैली 7.2 वह संस्करण है जो नई अतिरिक्त सुविधाओं के साथ आया है। यह सबसे तेज़ संस्करण है जहाँ ऑपरेशन पहले की तुलना में तेज़ी से पूरे होते हैं। वैधानिक अनुपालन सुविधाओं, विभिन्न वैट मूल्यों आदि सहित अतिरिक्त सुविधाओं ने इसे सामान्य संस्करणों की तुलना में अधिक अद्वितीय बना दिया।
टैली 8.1 (2006)
टैली 8.1 वह संस्करण है जो टैली में नई डेटा संरचना जोड़ता है। इस संस्करण में पीओएस और पेरोल सुविधा के मॉड्यूल को जोड़ता है। संस्करण का लोगों द्वारा अपेक्षित रूप से स्वागत नहीं किया गया था। इसलिए, टैली टीम एक और संस्करण लॉन्च करने के लिए आगे बढ़ी है।
टैली 9 (2006)
टैली-9 अतिरिक्त सुविधाओं के साथ टैली का अगला संस्करण है। टैली 9 की सुविधाओं में एक्साइज, पेरोल, ई-टीडीएस फाइलिंग सुविधा, एफबीटी, टीडीएस, और लेखा और इन्वेंट्री प्रबंधन से संबंधित अन्य नियमित विशेषताएं शामिल हैं।
टैली ईआरपी 9 (2009)
टैली ईआरपी-9 2009 के बाद टैली का नवीनतम संस्करण है। इसमें कई व्यापारिक संगठन हैं। इसमें जीएसटी गणना, चालान और पेरोल प्रक्रिया, रिमोट एक्सेस, बहु-उपयोगकर्ता लॉगिन और लेनदेन प्रक्रियाओं सहित उन्नत विशेषताएं हैं।
टैली erp-9 की विशेषताये
टैली - erp-9 में कुछ अलग विशेषताए शामिल की गयी हो जो ERP - 9 को विशेष पहचान देता है वे विशेषताए निम्नलिखित है
Remote Access - टैली ERP-9 कही से भी रिमोट के द्वारा डाटा एक्सेस करने की क्षमता प्रदान करता है इस फीचर से यूजर एक ID बनाता है और रिमोट एक्सेस करने की अनुमति देता है यहाँ पर रिमोट एक्सेस का मतलब हुआ की आप अपने टैली को ऑनलाइन किसी दुसरे सर्वर से जोड़ सकते है
Tally.net - Tally, Net डिफाल्ट रूप से अनुकूल माहौल बनाता है जो इन्टरनेट पर आधारित विभिन्न सेवाओ की सुबिधा के लिए पीछे से काम करता है प्रत्येक टैली .नेट की सर्विस के सक्रीय होता है
Control Center - यह नया फीचर है जो टैली Erp-9 में शामिल किया गया है यह यूटिलिटी अलग अलग जगह पर install टैली और प्रयोगकर्ता के बीच इंटरफ़ेस करती है कण्ट्रोल सेंटर की मदद से प्रयोगकर्ता account से सम्बंधित जानकारी को बनाये रख सकते है
Multiple सिलेक्शन की क्षमता - यूजर एक रिपोर्ट में कई लाईनों को एक साथ सिलेक्ट कर सकता है आवश्यकता के आधार पर इन्हें डिलीट या हाईड कर सकता है
इनफार्मेशन पैनल - इनफार्मेशन पैनल टैली के निचले भाग में होता है इसमें पांच ब्लाक होते है प्रोडक्ट , version ,edition , कॉन्फ़िगरेशन और कैलकुलेटर इसके अतिरिक्त टैली में विभिन्न फीचर जोड़े गए है जिसे प्रैक्टिकल के माध्यम से समझा जा सकता है
टैली प्राइम क्या है? (What is Tally prime?)
टैली प्राइम एकाउंटिंग सॉफ्टवेर ही है जो कि Tally.erp9 का न्यू अपडेट है| टैली Erp 9 काफी ज्यादा उपयोगी था और अभी भी इसमे काम करना काफी ज्यादा आसान है | लेकिन टैली प्राइम में एकाउंटिंग करना और भी ज्यादा आसान कर दिया है जो Erp9 में कमियां थी उन्हें इस टैली प्राइम में दूर किया गया और टैली को और ज्यादा बेहतर बनाया गया है |
टैली प्राइम में नये अपडेट क्या-क्या है?
(Top 10 New update in Tally Prime)
टैली में काफी ज्यादा बदलाब किये गये है हम प्रमुख दस अपडेट की बात करेंगे -
1.) सबसे पहली अपडेट टैली लोगो और थीम का है यहाँ टैली ने अपना लोगो बदल दिया है और एक नया लोगो प्रस्तुत किया है साथ ही theme color भी बदला गया है |
2.) यूजर इंटरफ़ेस काफी ज्यादा सरल बना दिया है पहले के वर्जन में हर कमांड या रिपोर्ट के लिए हमे काफी ज्यादा अंदर तक जाना पड़ता था लेकिन टैली प्राइम में सभी ऑप्शन और कमांड्स को बाहर ही रख दिया है जिससे यूजर आसानी पूर्वक उन्हें उपयोग कर पायेगा |
3.) Go to ऑप्शन इस प्राइम वर्जन का काफी ज्यादा अच्छा ऑप्शन है | पहले यदि आप वाउचर में नयी एंट्री कर रहे होते है तो और उसी समय यदि आपको बहार रिपोर्ट देखनी हो तो आपको वाउचर एंट्री या तो पूरी करनी पडती थी या फिर कैंसिल करनी पडती थी लेकिन इसमे सबसे उपर ही एक Go to बटन जोड़ दिया गया जिसे आप आसानी से रिपोर्ट देख सकते है और आपकी एंट्री भी नही जाएगी |
4.) Tally Erp9 में क्रिएट करने के लिए आपको हर बार अलग ऑप्शन में जाना होता था जैसे गोडाउन के लिए गोडाउन में जाकर क्रिएट करना होता था लेकिन आप क्रिएट सबसे पहले और बहार ही दिया गया है जिसे आप सबकुछ एक ही जगह क्रिएट कर पाएंगे | और इसी तरह सुधार करने के लिए के एक साथ ही सारे ऑप्शन आपको बहार ही मिल जाते है |
5.) पहले एक्स्ट्रा फंक्शन के लिए F11 और फिर F1, F2 या F3 में जाना पड़ता था लेकिन अब केवल F11 से सारे ऑप्शन आपके सामने आ जायेंगे |
6.) क्रिएट में आप इनएक्टिव ऑप्शन जैसे प्राइस लिस्ट, गोदाम, पेरोल अर्थात वह सभी ऑप्शन जिसके पहले आपको फीचर्स इनेबल करना पड़ता था अब वह ऑप्शन क्रिएट विंडो से अपने आप एक्टिवेट हो जायेंगे |
7.) टैली प्राइम में शॉर्टकट की में भी परिवर्तन किये गया है जैसे कम्पनी बंद अब Alt + F1 की जगह Ctrl + F3 से होगी | ईमेल Ctrl+M से वाउचर विंडो चेंज अब Ctlr + H से होगी | और कॉपी पेस्ट भी आप अब Ctrl + C और Ctrl + V से कर पाएंगे |
8.) टैली प्राइम में ऊपर की तरफ एक मेनू जोड़ दिया गया है जिसमे company इन्फो और import Export के फीचर्स दिए गये है |
9.)टैली प्राइम में आप रिपोर्ट को और सरलता से और अलग अलग व्यू में देख सकते है |
10) टैली प्राइम में, क्रिएट कंपनी करने के साथ ही आपके सामने फीचर्स की विंडो ओपन हो जाती जिससे आप आसानी से GST जैसे फीचर्स हो पहले ही इनेबल या डिसएबल कर सकते है |
नये वर्जन को काफी ज्यादा सरल बनाया गया है इसमे पूरा ध्यान रखा गया है कि समय की बचत हो और रिपोर्ट सही तरीके से बने यह टैली प्राइम टैली सलूशन का काफी अच्छा अपडेट है | टैली के पुराने वर्जन में यदि आपने काम किया है तो नये वर्जन में आपको कोई भी परेशानी नही आएगी सभी ऑप्शन आपको आसानी से मिल जायेंगे |
What is Accounting (लेखांकन क्या है )
एकाउंटिंग का हिंदी अर्थ है लेखांकन , लेखांकन दो शब्दों से मिलकर बना है लेख + अंकन जहाँ लेख का सन्दर्भ लिखने तथा अंकन का अर्थ अंको से लिया गया है यदि इस वाक्य को परिभाषित किया जाये तो
लेखांकन किसी व्यक्ति , समूह ,या समुदाय द्वारा किये वित्तीय खर्च को अंको के रूप में विवरण प्रस्तुत करने की एक विधि है
नोट - यदि आप टैली में एकाउंटिंग सिख रहे तो आपको कुछ शब्दों के परिभाओ से परिचित होना पड़ेगा जिससे आपको एकाउंटिंग सीखते समय कठिनाई न हो , एकाउंटिंग से जुड़े कुछ परिभाषाएं निचे लिखे गए है
Business - धन कमाने के उद्देश्य से किसी व्यक्ति द्वारा कीया कार्य Business कहलाता है
Capital - कैपिटल का हिंदी अर्थ पूँजी होता है जो किसी व्यवसाय को शुरू करने के लिए जरुरी है
Capital Account - पूंजीपती के खाते को कैपिटल अकाउंट के नाम से जाना जाता है
Debtors - इस शब्द का हिंदी अर्थ कर्जदार होता है अर्थात जिससे व्यवसाय में निश्चित राशी लेनी होती है उसे Debtors कहा जाता है
Creditors - इस शब्द का हिंदी अर्थ करदाता होता है अर्थात जिसको व्यवसाय में निश्चित राशी देनी होती है उसे Creditors कहा जाता है
Business Transaction - यह एक वित्तीय घटना है जो किसी व्यवसाय में सामानों के विक्री और खरीद विवरण को दर्शाता है
Cash Transaction - किसी व्यवसाय में हुए सभी नकद के रूप में लेन -देन को Cash Transaction कहा जाता है
Financial year - किसी वर्ष के 31 मार्च और 1 अप्रैल के बीच के समय को Financial year (वित्तीय वर्ष )
Financial Expense - किसी व्यवसाय में पुरे वर्ष में हुए खर्च को Financial Expense कहा जाता है
Liability- यह वह धन होता है जो दुसरो द्वारा व्यवसाय में दिया जाता है जैसे बैंक द्वारा लिया गया लोन
Ledger- इस शब्द का अर्थ अकाउंट होता है इसके माध्यम से किसी व्यक्ति या वास्तु का विवरण व्यसाय में रखा जाता है
profit - जब व्यवसाय में हमें किसी वस्तु की बिक्री करने पर खरीद से अधिक राशी प्राप्त हो तो उस राशी को प्रॉफिट कहा जाता है
Loss - जब व्यवसाय में हमें किसी वस्तु की बिक्र करने पर खरीद से कम राशी प्राप्त हो तो उस राशी को loss कहा जाता है
Goods - जिन वस्तुओ का प्रयोग करके हम व्यवसाय करते है उसे गुड्स कहा जाता है
Assets - यह महंगे वस्तुओ को परिभाषित करता है जैसे फर्नीचर , vehicle , इमारते इत्यादि
अकाउंट कितने प्रकार के होते है ( How many type of Accounts )
टैली में अकाउंट को तीन भागो में बांटा गया है
Personal Account - सभी व्यक्ति ,समुदाय, या समूह जैसे ट्रस्ट ,बैंक या कंपनियों के खाते को पर्सनल अकाउंट कहा जाता है उदहारण - Vijay,Manoj, sales A/C ,sbi Bank इत्यादि
Real Account - इसके अंतर्गत सभी महँगी वस्तुए और सामान शामिल होते है जैसे - Cash A/C ,Furniture,Building A/C
Nominal Account - व्यवसाय से सम्बंधित सभी आय और खर्च Nominal account के अंतर्गत आते है जैसे - Salary A/C , Rent A/C Payment A/C , Electricity Bill A/C etc
Tally Group क्या होते है और इसके क्या महत्व है / What is group in Tally what its Important
Tally में ग्रुप एक बहुत ही मुख्य भूमिका निभाता है जब हम टैली में किसी व्यक्ति ,समूह या वस्तु का खाता बनाते है तो उस व्यक्ति या वस्तु के अंतर्गत हमें किसी एक ग्रुप का चयन करना होता है , ग्रुप चयन के द्वारा ही हमें यह पता चलता है की जिस वस्तु या व्यक्ति का खाता हम टैली में बना रहे है वो हमसे किस प्रकार से जुड़ा हुआ है अर्थात जबतक हमें यह नहीं पता होगा की जो व्यक्ति हमारे व्यवसाय से जुड़ा है वो creditor है या debtor या कंपनी का मालिक , तबतक हमें उस व्यक्ति से लेन देन करने में कठिनाई होगी और व्यवसाय को हानी का सामना करना पड़ सकता है
टैली में कुल ग्रुप की संख्या 28 है परन्तु इन ग्रुप को दो भागो में बांटा गया है |
(1) Primary Group - प्राइमरी ग्रुप में सभी ग्रुपों की संख्या 15 है इन सभी ग्रुप को 2 भागो में विभक्त किया गया है
(a) Revenue - यह ग्रुप व्यवसाय के राजस्व को दर्शाते है यह 6 प्रकार के होते है
DIRECT EXPENSE
INDIRECT EXPENSE
DIRECT INCOME
INDIRECT INCOME
SALE ACCOUNT
PURCHASE ACCOUNT
1- DIRECT EXPENSE- वह खर्च जो किसी समान को बनाने में लगता है उसे DIRECT EXPENSE के UNDER में रखते है |
2- INDIRECT EXPENSE – वह खर्च जो किसी समान को बेचने में लागत के रूप में लगता है उसेINDIRECT EXPENSE के अन्तर्गत में रखते है |
3 - DIRECT INCOME – डायरेक्ट इनकम वह इनकम है जो सीधे व्यवसाय गतिविधियों के माध्यम से अर्जित की जाती है उसे डायरेक्ट इनकम के अंतर्गत रखा जाता है |
4-INDIRECT INCOME-वह आय जो गैरव्यवसायिक गतिविधियों के माध्यम से अर्जित किया जाता है | उसे INDIRECT इनकमकेअंतर्गत रखा जाता है |
5 - SALE ACCOUNT- जब कोई समान किसी को बेचा जाता है तो उसे सेल अकाउंट के अंतर्गत रखा जाता है|
6 - PURCHASE ACCOUNT- जब कोई समान किसी से ख़रीदा जाता है तो उसे PURCHASE अकाउंट के अंतर्गत रखा जाता है |
(b) Non- Revenue - यह ग्रुप व्यवसाय के राजस्व को नहीं दर्शाते इनकी कुल संख्या 9 है |
CAPITAL ACCOUNT
CURRENT ASSETS
FIXED ASSETS
CURRENT LIABILITY
LOAN LAIBILITES
SUSPENSE ACCOUNT
INVESTMENT ACCOUNT
BRANCHES IN DIVISION
MISCLAINIOUS EXPENCE
CAPITAL ACCOUNT- जब बिज़नेस को स्टार्ट करने के लिए कोई व्यक्ति पैसा लगता है तो उसे CAPITAL ACCOUNT के अंतर्गत रखते है |
CURRENT ASSETS- जब कोई सम्पति हमारे पास थोड़े समय के लिए रहता है उसे CURRENT ASSETS के अंतर्गत रखते है |
FIXED ASSETS- वह सम्पति जो हमारे पास स्थायी रूप में मौजूद रहता है उसे FIXED ESSETS के अंतर्गत में रखते है |
CURRENT LIABILITES- वह कर्ज जो हमारे पास थोड़े समय के लिए रहता है उसे CURRENT LAIBILITES के अंतर्गत रखते है |
LOAN LAIBILITES- वह कर्ज जो हमारे पास निश्चित समय के लिए रहता है | उसे LOAN LAIBILITES के अंतर्गत रखते है |
SUSPENSE ACCOUNT– जब व्यापार में यह समझ ना आये समान बेचा गया है या ख़रीदा गया है तो उसे SUSPENSE ACCOUNT के अंतर्गत रखते है |
INVESTMENT ACCOUNT– जब कोई पैसा लाभ कमाने केउद्देश्य से किसी कम्पनी में लगते है तो उसे INVESTMENT अकाउंट के अंतर्गत रखते है |
BRANCHES IN DIVISION– शाखाओं के लेन देन को BRANCHESE INDIVISION कहते है |
MISCLAINIOUS EXPENCE– जब कोई खर्च व्यर्थ में किया जाता है तो उसे MISCLAINIOUS EXPENCE के अंतर्गत में रखा जाता है |
(2) Secondary Group - इस ग्रुप की कुल संख्या 13 है
CASH IN HAND
BANK ACCOUNT
SUNDRY CREDITOR
SUNDRY DEBTOR
DEPOSIT
STOCK IN HAND
LOAN& ADVANCE
DUTIES& TAXES
PROVISION
SECURED LOAN
UNSECURED LOAN
Bank OD(over Draft ) or OCC (open Credit Cash )
Resurve and Surplus
1 CASH IN HAND –जब कोई पैसा हमारे पास नकद के रूप में रहता है तो उसे CASH IN HAND के अंतर्गत रखते है
2 BANK ACCOUNT –बैंक से सम्बन्धित खाते को BANK अकाउंट के अंतर्गत रखते है |
3 SUNDRY CREDITOR–जब किसी से उधार समान लेते है तो उसेSUNDRY CREDITOR के अंतर्गत रखते है |
4 SUNDRY DEBTOR –जब किसी को उधार समान बेचते है तो उसे SUNDRY DEBTOR के अंतर्गत रखते है |
5 DEPOSIT–इसके अंतर्गत वह पैसा आता है जिसको हम किसी बैंक में निश्चित समय के लिए रखते है |
6 STOCK IN HAND–जो समान हमारे पास मौजूद होता है उसे STOCK IN HAND के अंतर्गत रखते है |
7 LOAN& ADVANCE–जब किसीको हम उधार पैसा या कर्ज देते है तो उसे LOAN & ADVANCE के अंतर्गत रखते है |
8 DUTIES& TAXES –इसकेअंतर्गत वह सभी टेक्स आते है जो सरकार द्वारा लगाया जाता है | T.A ,D.A ,V.A.T, G.S.T
9 PROVISION–जबकिसी अशुद्ध ऋण के लिए जो पैसा पहले से इक्कठा किया जाता है उसको PROVISION के अंतर्गत रखते है |
10 SECURED LOAN–वह लोन जो हमें किसी बैंक से प्राप्त होता है उसे SECURED LOAN के अंतर्गत रखते है |
11 UNSECURED LOAN–वह पैसा जो हमें किसी व्यक्ति से प्राप्त होता है उसे UNSECURED लोन के अंतर्गत रखते है |
12 BANK OD or OCC – जब कोई लोन किसी विशवाशपात्र व्यक्तिको लिमिट से ज्यादा पैसा देता है तो उसे BANK OD or OCC के अंतर्गत रखते है |
13 RESURVE & SURPLUS–ये ग्रुप capital अकाउंट के UNDER में आता है अर्थात् जब हमारी पूँजी कम हो जाती है तो दोबारा पूँजी लगते है तो उसे RESURVE& SURPLUS के अंतर्गत रखते है |
What is Voucher?
Voucher का हिंदी अर्थ लेन – देन पत्र होता है tally में किसी भी प्रकार का लेन – देन करने के लिए voucher का प्रयोग किया जाता है tally में voucher अलग –अलग प्रकार के होते है जो अलग –अलग लेन-देन के लिए प्रयोग किये जाते है
Tally Prime के अनुसार कुल voucher की संख्या 24 है जिन्हें निम्न भागों में विभाजित किया गया है
1-Accounting Voucher – इन voucher का प्रयोग व्यापार में लेन-देन का विवरण रखने के लिए किया जाता है जैसे – salary payment, money receive from other , cash deposit in bank , receive loan from bank or any person ,Investment, fixed deposit etc. ( Note – ये सभी voucher हमारे खाते को प्रभावित करते है )
· Contra Voucher. - Bank से सम्बंधित लेन- देन करने के लिए contra Voucher का प्रयोग किया जाता है
· Payment Voucher. - जब किसी व्यक्ति या समूह को पैसा भुगतान किया जता है तो payment voucher का प्रयोग किया जाता है
· Receipt Voucher. - जब किसी व्यक्ति या समूह से पैसा प्राप्त किया जाता है तो उसकी एंट्री Receipt Voucher से किया जाता है
· Sales Voucher. -जब किसी सामान को बेचा जाता है तो उसकी एंट्री Sale voucher से करते है
· Purchase Voucher. - जब किसी सामान को ख़रीदा जाता है तो उसकी एंट्री purchase voucher से करते है
· Journal Voucher. - जब किसी स्थायी सामान को ख़रीदा जाता है तो उसकी एंट्री Journal voucher से करते है
· Credit Note Voucher.- इस वाउचर का प्रयोग तब किया जाता है जब किसी ग्राहक ने बेचे गए माल को वापस किया हो। इसे Sales Return या Return Inward भी कहते है।
· Debit Note Voucher. - (Alt+F5) इस वाउचर का प्रयोग तब किया जाता है जब किसी सप्लायर से खरीदे गए माल को वापस किया जाए। खरीदे गए माल को वापस करना Purchase Return या Return Outward कहा जाता है।
2. 2-Non-Accounting Voucher – Tally में Non- Accounting voucher का प्रयोग केवल किसी हिसाब को याद रखें के लिए करते है (Note - Non- Accounting vouchers से की गयीं entry हमारे खाते को प्रभावित नहीं करते है )
· Memorandum voucher
· Reversing Journal voucher
3. 3-Inventory Voucher - ये voucher वस्तुओं से सम्बंधित सभी प्रकार के विवरण का हिसाब रखते है जैसे –वस्तुओं का - क्रय ,विक्रय ,गोदान ,आर्डर इत्यादि
· Receipt note voucher (F9:Purchase)
· Rejections-in voucher (F8:Sales)
· Delivery note voucher (F8:Sales)
· Rejections-out voucher (F9:Purchase)
· Stock journal voucher (F7)
· Physical stock voucher (F10)
4. 4-Payroll voucher- इन vouchers का प्रयोग कर्मचारियों से सम्बंधित लेन-देन का विवरण रखने के लिए किया जाता है
· Attendance voucher
· Payment Voucher
· Payroll voucher
Create ledger in Tally Prime
टैली प्राइम में कम्पनी बनाने के बाद आपको वाउचर एंट्री के लिए ज़रूरी है लेजर क्रिएट करना क्यूंकि बिना लेजर क्रिएट करें आप बिल एंट्री या वाउचर एंट्री नही कर पाएंगे |
How To Create Ledger in Tally Prime
सबसे पहले हमारे पास कुछ एंट्री होना चाहिये जिसके आधार पर हम लेजर या अकाउंट बनायेंगे तो इसलिए अभी हमने कुछ एंट्रीस बनानी है -
रुपेश ने 1-4-2021 को 200000 के साथ व्यापार प्रारम्भ किया |
राम से 10000 रूपये का मॉल 2-4-2021 में खरीदा गया
3000 रूपये का 02-04-2021 में मॉल खरीदा गया |
03-04-2021 में भवन खरीदा गया 10000 रूपये में |
नगद वेतन दिया 2500 रुपये 05-04-2021 | प्राप्त हुआ
8000 रूपये का माल 10-04-2021 में बेचा गया |
विनय से 400000रूपये का माल 12-04-2021 में खरीदा गया |
अपने बिज़नस के लिए 5000 रूपये का फर्नीचर 15-04-2021 में खरीदा गया |
1500 रूपये लाइट का बिल 18-04-2021 को दिया |
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) में 1500 रूपये से 20-4-2021 में एक खाता खोला गया |
राम को 22-04-2021 को 1800 रूपये का भुगतान दिया गया |
नगद 8000 रूपये का माल 27-04-2021 को बेचा गया |
28-04-2021 को 2500 रूपये का कमीशन दिया गया |
300 रूपये मजदूरी 28-04-2021 में दी गयी |
मालिक ने अपने निजी खर्च के लिए व्यापार से 2000 रूपये 29-04-2021 में निकाले |
अब उपर दी गयी एंट्री के आधार पर हम टैली प्राइम में खाते खोलेंगे -
लेजर या खाते खोलने के लिए सबसे पहले कम्पनी बना ले जैसा हमने पहले सिखा था उसके बाद Gateway of Tally की विंडो पर दिए गये ऑप्शन Create की मदद से लेजर बनायेंगे |
ऊपर दी एंट्री के हिसाब से सबसे पेहला लेजर रुपेश का बनेगा फिर इसके बाद उसका कोई यदि दूसरा नाम होतो वह नाम हम उर्फ़ (Alias) में दे देंगे |
अब सबसे महत्वपूर्ण है लेजर में अंडर ग्रुप पहचाना | अभी रुपेश अंडर Capital account आएगा क्यूंकि कैपिटल का अर्थ है पूंजी और पूंजी वह जो मालिक लगता है |
इसलिए जब भी किसी भी बिज़नस में मालिक का अकाउंट खुलेगा तो सदेव अंडर ग्रुप capital Account ही होगा | इसके बाद आप यदि बाकि डिटेल्स देना चाहे तो दे सकते है लेकिन अभी यह जानकारी देना ज़रूरी नही है |
इसी प्रकार दूसरी एंट्री में राम से मॉल खरीदा गया है तो यहाँ Ram के नाम का लेजर क्रिएट होगा जिसे अंडर Sundry Creditors रखा जायेगा क्यूंकि जिनसे भी हम माल खरीदते है वह सब Sundry Creditor कहलाते है |
Create Sundry Creditor Account
तीसरी एंट्री में अकाउंट Purchase नाम से खुलेगा और अंडर भी परचेस ही आएगा | क्यूंकि मॉल खरीदा या सामान खरीदा को परचेस कहा जाता है |
अगली एंट्री में भवन खरीदा चूँकि यह मॉल नही है इसलिए परचेस अकाउंट नही आएगा यहाँ अकाउंट Building या Bhavan नाम से खोला जायेगा जिसे अंडर Fixed Assets (स्थायी सम्पति) ग्रुप में रखा जायेगा क्यूंकि Building एक स्थायी सम्पति है|
इसी प्रकार बाकि बचे खाते भी खोलेंगे यह ग्रुप पिछली पोस्ट में समझाएं गये है आप वह पोस्ट ज़रूर पढ़े जिससे आपको आसानी हो जाएगी |
Ledger Name Under Group
1. Rupesh A/c Capital
2. Ram A/c Sundry Creditor
3. Purchase A/c Purchase Account
4. Building A/c Fixed Assets
5. Salary A/c Indirect Expenses
6. Sales A/c Sales Account
7. Vinay A/c Sundry Creditor
8. Furniture A/c Fixed Assets
9.Light Bill Indirect Expenses
10. SBI A/c Bank Account
11.--------- ------------
12.--------- ------------
13.Commission A/c Indirect Expenses
14. Wages a/c Direct Expenses
15. Drawing A/c Capital a/c
Fixed Assets में उन अकाउंट को रखेंगे जो स्थायी सम्पति के अंतर्गत आते है जैसे बिल्डिंग, फर्नीचर, मशीनरी, कार, जमीन आदि
इसी प्रकार Indirect Expenses ग्रुप में उन एकाउंट्स को रखेंगे जो खर्चो के अंतर्गत आते है | ऐसा रुपया जो खर्च हो जायेगा | जिसको बाद में प्राप्त न किया जा सके जैसे किराया देना (RENT), लाइट बिल, विज्ञापन खर्चा , वेतन देना , कमीशन देना आदि |अर्थात पैसे आने के बाद जो खर्चे होते है सब सभी अकाउंट अंडर इन डायरेक्ट एक्स्पेंसेस ग्रुप में आते है |
जबकि direct एक्सपेंस में उन खातो को रखेंगे जिनका भुगतान उसी समय करना होता है अर्थात भविष्य पैसा आने के बाद पैसा नही दिया जाता वल्कि भुगतान प्रतक्ष्य रूप से दिया जाता है जैसे मजदूरी देना, भाड़ा देना आदि |
Bank Account का खता Bank Account Group में हो आएगा और Sales A/c का खाता हमेशा Sales Accounts के अंतर्गत आएगा तथा इसी प्रकार Purchase Accounts का खाता हमेशा Purchase ग्रुप में ही आएगा |
तो इस तरह हम वाउचर एंट्री करने के लिए खाते टैली प्राइम में बना सकते है हम यदि चाहे तो वाउचर एंट्री करते समय भी खाते शॉर्टकट कि , की मदद से बना सकते है | Tally Prime में खाता बनाने की Shortcut Key Alt+ C है |
खाते बनने के बाद अब हम इन खातो में एंट्री करेंगे एंट्री करने के लिए हमे वाउचर विंडो पर जाना होगा |